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वर्तमान में आप चाहें तो सिलाई धागा बनाने के व्यापार से भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। दोस्तों आप भी अच्छी तरह जानते होंगे की कपड़े मनुष्य की नितांत आवश्यकताओ में से एक हैं। ऐसे में हर मनुष्य चाहे वह बच्चा हो, किशोर हो, युवा हो, अधेड़ हो या फिर वृद्ध हो कपड़ों की आवश्यकता होती ही होती है। और आजकल के फैशन की यदि हम बात करें तो रेडीमेड गारमेंट्स का बड़ा चलन हो गया है, इन रेडीमेड गारमेंट्स की सिलाई में जिस धागे का इस्तेमाल किया जाता है, Thread Making Business plan in hindi आज हम उसी सिलाई के धागे को बनाने की बात कर रहे हैं। फैशन की इस दुनिया में कपड़ों का ट्रेंड्स बड़ी जल्दी जल्दी बदलता रहता है, इसलिए यह जरुरी नहीं है की जिसके पास तन ढकने की कपड़े हैं, वह और कपड़े नहीं खरीदेगा। क्योंकि वर्तमान में कपड़ों को सिर्फ तन ढकने के लिए नहीं, बल्कि सुन्दरता और आराम के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है।

 

 

Thread Making Business Plan in Hindi

 

 

जहाँ तक सिलाई के धागे के छोटे रूप सूत (Yarn) की बात है इसे कई तरह कपड़े का इस्तेमाल करके बनाया जाता है । और बाद में इस यार्न का इस्तेमाल सिलाई धागा बनाने, रस्सी बनाने, कढ़ाई बुनाई करने के उद्देश्य से भी किया जाता है । सूत बनाने में इस्तेमाल होने वाले कपड़े के हिसाब से इसे मुख्यत: दो भागों मोनो फाइबर और मिक्स्ड यार्न में विभाजित किया जा सकता है। जहाँ तक धागे की बात है यह यार्न के दो पल्लों या दो पल्लों से अधिक से बनाया गया होता है। आम भाषा में यार्न को सूत या फिर धागा ही बोलते हैं, लेकिन सच यह है की सिलाई का धागा सूत के दो तीन पल्लों से मिलकर बनता है। यह तो हम सब जानते ही हैं की घरों में सिलाई के धागे का इस्तेमाल सुई से सिलने में और सिलाई मशीन में किया जाता है। और औद्यौगिक सिलाई में 95% से ज्यादा इसी धागे का इस्तेमाल होता है । ऐसे में किसी भी उद्यमी के लिए इस बिजनेस से कमाई करना आसान हो जाता है।

 

धागा बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? (How to Start Thread Making Business in India)

सिलाई के धागे का निर्माण सूत के दो तीन पल्लों से किया जाता है, ताकि इसमें मजबूती और स्थायित्व बना रहे। और सूत बनाने के लिए सिर्फ किसी एक प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बल्कि कई तरह के फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है । लेकिन हम यहाँ पर कॉटन फाइबर को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल में लेने वाले हैं। तो आइये जानते हैं की कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का यह व्यापार (Thread Making Business) कैसे शुरू कर सकता है ।

 

 

 

बिजनेस प्लान तैयार करें

इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को सबसे पहले एक प्रभावी बिजनेस प्लान तैयार करने की आवश्यकता होती है। इस बिजनेस प्लान में मार्किट रिसर्च से लेकर अग्रिम कुछ वर्षों में बिजनेस के लक्ष्यों तक का लिखित वर्णन होता है । यही नहीं व्यवसाय का वैधानिक स्वरूप, उत्पादन क्षमता, जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध, वित्त का प्रबंध, कच्चे माल की उपलब्धता, बैंक लोन, कुल अनुमानित लागत से कुल अनुमानित कमाई तक का पूरा ब्यौरा लिखित में होता है।

एक बिजनेस प्लान को आप किसी प्रस्तावित परियोजना का रोड मैप भी कह सकते हैं । इसी योजना को देखकर या पढ़कर आप बैंक को ऋण प्रदान करने और निवेशकों को उस परियोजना में निवेश करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह सबसे पहले एक प्रभावी बिजनेस प्लान तैयार कर ले। इसे बनाने में उद्यमी को कई दिनों या महीनों का समय लग सकता है। क्योंकि इसमें लिखी जाने वाले सभी डिटेल्स का व्यवहारिक होना जरुरी है।        

वित्त का प्रबंध करें

अब जब उद्यमी द्वारा अपने व्यवसाय के लिए एक व्यवहारिक बिजनेस प्लान तैयार कर लिया हो, तो उसके बाद उसे इस बात का पता लग जाता है की उसके बिजनेस को शुरू करने में कुल कितनी लागत आ जाएगी। उसके बाद उसे वित्त का प्रबंध करने के कार्यों पर लग जाना चाहिए।

कई सारे उद्यमी अपनी बचत के पैसों से खुद का बिजनेस शुरू करते हैं, तो कई ऐसे भी हैं जो नाते रिश्तेदारों से अनौपचारिक कर्जा लेकर भी बिजनेस करते हैं। लेकिन अधिकतर उद्यमी ऋण के औपचारिक स्रोतों बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से ऋण लेना पसंद करते हैं । आप भी इनमें से कोई एक तरीका या फिर एक से अधिक तरीका वित्त का प्रबंध करने के लिए अपना सकते हैं।    

जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करें

धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको प्रॉपर एक फैक्ट्री स्थापित करने की आवश्यकता होती है। और फैक्ट्री स्थापित करने के लिए उद्यमी को एक दो कमरों की नहीं बल्कि बड़ी जगह की आवश्यकता हो सकती है।

चूँकि एक फैक्ट्री में कच्चे माल का स्टोर, उत्पादित माल का स्टोर, मशीनरी इंस्टालेशन के लिए जगह, सिक्यूरिटी रूम, विद्युत् उपकरणों का रूम और एक ऑफिस की भी आवश्यकता होती है। इस तरह से देखें तो इस बिजनेस (Dhaga Making Business) शुरू करने के लिए कम से कम 2000 से 2500 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

यद्यपि यह इस बात पर भी निर्भर करता है की स्थापित होने वाले प्लांट की उत्पादन क्षमता क्या रहने वाली हैं। लेकिन यदि उद्यमी 400 मीटर प्रतिदिन क्षमता वाला प्लांट स्थापित करता है, तो उसे कम से कम उपर्युक्त बताई गई जगह की आवश्यकता हो सकती है।

जिसे उद्यमी चाहे तो किराये पर ले सकता है और यदि चाहे तो खुद की कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलकर शहर से थोड़ी दूर इस तरह का अपना प्लांट स्थापित कर सकता है।       

 

 

 

 

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्राप्त करें

धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को एक नहीं बल्कि कई तरह के लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है, जिनमें से कुछ की लिस्ट इस प्रकार से है ।

  • बिजनेस को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रोप्राइटरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत रजिस्टर किया जा सकता है।
  • व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड और बैंक में चालू खाता खोलने की जरुरत होती है।
  • टैक्स रजिस्ट्रेशन के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
  • स्थानीय प्राधिकरण से फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है।
  • फायर और पोल्यूशन डिपार्टमेंट से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता हो सकती है।
  • यदि उद्यमी चाहता है की उसकी इकाई को एमएसएमई के लिए शुरू की गई योजनाओं का फायदा मिले तो उसे उद्यम रजिस्ट्रेशन भी करा लेना चाहिए।
  • यदि उद्यमी अपनी फैक्ट्री में १० से अधिक कर्मचारियों को काम पर रखता है तो उसे ईएसआई रजिस्ट्रेशन कराने की भी आवश्यकता होती है।
  • फैक्ट्री द्वारा उत्पादित सिलाई धागा खुद के ब्रांड नाम से बेचने और ब्रांड नाम को सुरक्षित रखने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है।

इनके अलावा भी अन्य कई रजिस्ट्रेशन जैसे यदि फैक्ट्री में कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक हो जाती है तो ईपीएफओ रजिस्ट्रेशन, किसी कर्मचारी की सैलरी टैक्स के दायरे को पार करती है तो सैलरी से टीडीएस टेन रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता हो सकती है।       

मशीनरी और कच्चे माल का प्रबंध करें

इस बिजनेस में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख कच्चा माल कॉटन फाइबर और कास्टिक सोडा होता है। ऐसे इलाकों जहाँ पर कपास की खेती अधिक होती है, वहाँ पर इस तरह की फैक्ट्री के लिए कच्चे माल की उपलब्धता बनी रहती है । मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • कॉटन बेल प्री ओपनर मशीन जिसकी कीमत ₹2 लाख हो सकती है।
  • कार्डिंग मशीन जिसकी कीमत ₹2.5 लाख हो सकती है ।
  • काम्बिंग मशीन जिसकी कीमत ₹2 लाख हो सकती है।
  • सिल्वर लैप मशीन जिसकी कीमत ₹3.5 लाख हो सकती है।
  • कताई मशीन (Spinning machine) जिसकी कीमत लगभग ₹3.5 लाख हो सकती है।    
  • वाइंडिंग और स्पूलिंग मशीन जिसकी कीमत लगभग ₹1.7 लाख हो सकती है। 

इस तरह से देखें तो एक 400 मीटर प्रतिदिन धागे का निर्माण करने वाली फैक्ट्री स्थापित करने के लिए आपको लगभग ₹15.2 लाख तो मशीनरी पर ही खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है । 

 

 

 

 

कर्मचारियों की नियुक्ति करें

किसी भी बिजनेस को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए मैनपावर का बड़ा अहम् योगदान होता है। मैनपावर भी एक संगठन को कई तरह की चाहिए होती है कोई दिमागी तौर पर काम करने के लिए चाहिए होती है, तो कोई शारीरिक परिश्रम करने के लिए चाहिए होती है। इस बिजनेस में भी आपको स्किल्ड और अनस्किल्ड दोनों तरह के कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।

  • कम से कम दो मशीन ऑपरेटर की आवश्यकता हो सकती है ।
  • 3 कुशल/अकुशल कर्मचारियों की आवश्यकता हो सकती है।
  • 4 हेल्पर्स की जरुरत हो सकती है ।
  • कम से कम एक अकाउंटेंट और एक सेल्समेन की जरुरत हो सकती है।

इस तरह से देखें तो धागा बनाने के बिजनेस को शुरू करने के लिए उद्यमी को कम से कम 11 कर्मचारियों को काम पर रखने की आवश्यकता हो सकती है।      

प्रोडक्शन शुरू करें

उपर्युक्त बताई गई मशीनरी से धागा बनाने की प्रक्रिया (Dhaga Making Process) बहुत ही आसान हो जाता है। हालांकि जिस भी विक्रेता से आप उपर्युक्त मशीनरी खरीद रहे होते हैं वे भी आपको या आपके मशीन ऑपरेटर को इन मशीनों को संचालित करने की ट्रेनिंग दे सकते हैं। लेकिन यदि उद्यमी अनुभवी मशीन ऑपरेटर को काम पर रख रहा है, तो उन्हें इस तरह के मशीनों से काम करने का अनुभव पहले से होता है । धागा बनाने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रूप से इस तरह से दर्शाया जा सकता है।

  • सबसे कच्चा माल कॉटन फाइबर और कास्टिक सोडा खरीद लिया जाता है।
  • उसके बाद इस कॉटन फाइबर की मशीनों की मदद से क्लीनिंग, कॉबिंग और सोर्टिंग की जाती है।
  • कताई मशीन से कताई की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।
  • फाइबर एक्सट्रैक्शन की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।
  • ड्राइंग और ट्विस्टिंग की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।
  • वोविंग और वाइंडिंग प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
  • और अंत में धागे की मजबूती और फिनिशिंग पर काम किया जाता है।        

 

 

 

धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने में आने वाली लागत

यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की धागा बनाने के बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत प्लांट की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करती है । लेकिन यहाँ पर हम 400 मीटर प्रति दिन उत्पादन की बात कर रहे हैं, तो इस स्तर पर इस तरह के बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है ।

  • मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में आने वाला खर्चा ₹15.2 लाख है ।
  • इसमें हम जमीन और बिल्डिंग का खर्चा तीन महीने के लिए ₹90000 मान के चल सकते हैं ।
  • फर्नीचर और फिक्सिंग की कास्ट हम ₹2 लाख मान के चल सकते हैं ।
  • वर्किंग लागत जिसमें कच्चा माल खरीदने में आने वाला खर्चा, कर्मचारियों की सैलरी, बिजली बिल, मेंटेनेंस इत्यादि खर्चे शामिल हैं इन्हें ₹6.5 लाख मान के चल सकते हैं।

इस तरह से देखें तो एक धागा बनाने वाली फैक्ट्री को शुरू करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को शुरूआती लागत के तौर पर ₹24.6 लाख खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है    

धागा बिजनेस से कितनी कमाई होगी

इस बिजनेस (Thread Making Business) से होने वाली कमाई इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी अपने द्वारा उत्पादित धागे को किस कीमत पर ग्राहकों को बेच रहा है। यद्यपि प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए उद्यमी को अपने उत्पाद को उचित मूल्यों पर ही बेचने की आवश्यकता होती है ।

यदि उद्यमी पूरी प्रोजेक्ट कास्ट का 90% तक किसी बैंक या गैर वित्तीय बैंक से ऋण लेकर इस तरह का बिजनेस शुरू करता है, तो उसका नेट प्रॉफिट बैंक को दिया जाने वाला ब्याज को घटाकर कैलकुलेट किया जाता है। वैसे यदि देखें तो इस स्तर पर इस बिजनेस को करने से सारे खर्चों को निकालकर साल भर में ₹5.2 लाख की कमाई संभावित है ।  

 

 

 

FAQ (सवाल/जवाब)

धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए मशीनरी कहाँ से खरीदें?

भारत में सूत कातने का काम ओई नया नहीं है, यह यहाँ वर्षों से चला आ रहा है। इसलिए बड़े शहरों में इस बिजनेस में काम आने वाली सारे मशीनरी और उपकरण आसानी से उपलब्ध हैं। 

इस प्लांट के लिए कितनी बिजली चाहिए होती है?

इस बिजनेस के लिए लगभग 30 हॉर्सपॉवर विद्युत् की आवश्यकता होती है।  

 

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