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इस लेख में हम कद्दू या सीताफल की जानकारी (Pumpkin in Hindi) के बारे में जानेगे। जिसमे कद्दू के फायदे और नुक्सान, इसकी सब्जी कैसे बनाये और इसका क्या क्या उपयोग है, और भी कई महत्पूर्ण जानकारियां इस लेख में शामिल है। इससे पहले आपको बता दें, की कद्दू एक प्रकार की सब्जी (Vegetable) है, जिसका सभी घरो में किया जाता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट होती है, इसके अलावा इसका उपयोग सब्जी के अलावा हलुआ और खीर बनाने के लिए भी किया जाता है। तो आइये जानत है, कद्दू से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में –

 

 

 

 

Amazing Health Benefits Of Pumpkin Seeds - पुरुषों की शारीरिक कमजोरी को पल  भर में दूर कर देते हैं कद्दू के बीज, फायदे और भी बहुत - Amar Ujala Hindi  News Live

 

 

 

 

 

 

कद्दू या सीताफल की जानकारी (Pumpkin Information in Hindi)

कद्दू एक प्रकार की स्थलीय सब्जी है, कद्दू का पौधा द्विबीजपत्री होता है। इसे कद्दू, सीताफल, और कुम्हड़ा नाम से भी जाना जाता है। कद्दू का वैज्ञानिक नाम ककुर्बिता (Scientific Name: Cucurbita) है, और इसका English नाम Pumpkin है। कद्दू एक प्रकार की बेल के ऊपर लगता है, हालाकिं इसे हम पौधा भी कह सकते है।

इसके पौधे का तना कमजोर होता है, यह आकर में लम्बा होता है। पौधे का रंग हरा होता है, इसके तने पर हलके छोटे छोटे रोयें होते है। कद्दू के पौधे की पत्तियां बड़ी और चौड़ी होती है, जिनका आकर वृत्ताकार होता है। पौधा जब बड़ा हो जाता है, तो इसके ऊपर पीले रंग के फूल आते है, फूल में 5 पंखुड़ियां होती है,

जो की आपस में जुड़ी होती है, इसका आकर अपूर्ण घंटे की तरह होता है। इसमें नर मादा पुष्प अलग-अलग होते हैं। नर पुष्प के अंदर तीन पुंकेसर होते हैं, जिसमे दो का एक जोड़ा होता है, और तीसरा पुंकेसर स्वतंत्र रहता है। मादा पुष्प में संयुक्त अंडप होते हैं, इन्हे युक्तांडप भी कहते हैं। कद्दू को सब्जी या फल दोनों के रूप में जाना जा सकता है,

इसका फल अन्य सब्जियों की अपेक्षा आकर में बड़ा होता है। कद्दू के फल का आकर लम्बा या गोल होता है। हालाकिं आमतौर पर यह गोल ही होते है। इसकी कुछ अन्य प्रजातियां भी होती है, जिनमे इसका फल लम्बा आता है। फल के अंदर बहुत सारे बीज भी होते है, फल का वजन आमतौर पर 4 से 8 किलोग्राम तक होता है।

पम्पकिन की सबसे बड़ी प्रजाति मैक्सिमा है, जिसके ऊपर लगने वाले फलों का वजन 34 किलोग्राम से भी अधिक होता है। कद्दू की खेती दुनिया के सभी हिस्सों में की जाती है। सबसे ज्यादा कद्दू की खेती के उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, मेक्सिको, भारत एंव चीन है।

कद्दू के पौधे या बेल की आयु 1 वर्ष होती है। कद्दू के अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व और खनिज पाए जाते है। इसके सेवन से कई बिमारियों से छुटकारा भी मिलता है। यह पूरी दुनिया में उगाया जाता है, इसलिए 21 सितंबर “Pumpking Day” के रूप में मनाया जाता है।

कद्दू खाने के फायदे (Benefits of Pumpkin in Hindi)

कद्दू या सीताफल में कई प्रकार के एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। इसके सेवन से शरीर में कई प्रकारी की बीमारियां नष्ट हो जाती है। कद्दू में पाए जाने वाले पोषक तत्वों और इसके खाने के फायदे और नुक्सान दोनों के बारे में आपको निचे सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिलने वाली है। तो आइये जानते है, कद्दू और कद्दू के बीज के फायदे के बारे में –

1. त्वचा को स्वस्थ रखने में फायदेमंद कद्दू

कद्दू के अंदर बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो की शरीर की त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह आपकी त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाता है। इसके अलावा कद्दू के बीज में लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है, जो की चेहरे की झुर्रियों और रूखेपन को दूर करता है। अगर आप कद्दू की सब्जी और बीजो का सेवन करते है, तो आप त्वचा सम्बन्धी कई बिमारियों से बच सकते है।

2. कद्दू के फायदे हृदय के लिए

हमारे हृदय में जितनी भी बीमारियां होती है, सभी खराब कोलेस्ट्रॉल शरीर में जमा होने के कारण होती है। लेकिन कुछ शोध के मुताबिक ऐसा माना गया है, की कद्दू के अंदर एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है, जो शरीर में जमे खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते है। जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

3. डिप्रेशन को कम करें कद्दू के फायदे

डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है, जिससे कभी ना कभी प्रत्येक व्यक्ति का सामना जरूर होता है। लेकिन कद्दू एक एंटी डिप्रेशन खाद्य पदार्थ है, जिसके सेवन से डिप्रेशन या तनाव से राहत मिलती है।

4. वजन घटाने में लाभदायक कद्दू के फायदे

शरीर का बढ़ता वजन कई बिमारियों को पैदा करता है, जिनमे हृदय रोग, मधुमेह, आदि कुछ मुख्य रोग है। लेकिन कुछ लोगो का सवाल रहता है, की वजन कैसे घटायें? लेकिंग अगर आप अपने खान पान में कद्दू की सब्जी का सेवन करना शुरू कर देते है, तो यह आपकी फालतू चर्बी को कम करने में बहुत लाभदायक होता है, इसके अंदर एंटी-ओबेसिटी के गुण पाए जाते है, जो शरीर की वसा को कम करते है।

5. बालों को स्वस्थ रखे कद्दू के फायदे

कद्दू के अंदर विटामिन और खनिज के अलावा कई पोषक तत्व पाए जाते है, जो की बालों के लिए बहुत फायदेमंद होते है। कुछ रिसर्च और शोध के मुताबिक कद्दू के सेवन से बालों का वॉल्यूम बढ़ता है, और बल स्वस्थ रहते है।

6. आँखों को स्वस्थ रखें कद्दू के फायदे

कद्दू के अंदर बीटा-कैरोटीन की मात्रा पायी जाती है, जो की आखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बीटा-कैरोटीन शरीर में विटामिन-ए में बदल जाता है, जो की आँखों को स्वस्थ रखता है।

7. मधुमेह को नियंत्रित करे कद्दू के फायदे

मधुमेह वर्तमान समय में एक सामान्य बीमारी बन गयी है। लेकिन अगर इस पर शुरू से ही गौर किया जाएँ, तो इसे नियंत्रित करना आसान होता है। ऐसे में आप कद्दू का सेवन कर सकते है। इसके अंदर एंटी डायबिटीक गुण पाए जाते है, जो मधुमेह को नियंत्रित करने में फायदेमंद होते है। इसके अलावा कद्दू में हाइपोग्लाइसेमिक की प्रक्रियां भी होती है, जो ब्लड शुगर लेवल कम करने में सहायक होती है। इसके सेवन से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।

8. विटामिन-ए की कमी को पूरा करे कद्दू

वैसे तो कद्दू के अंदर कई पोषक तत्व और खनिज पाए जाते है, लेकिन इसमें सबसे अधिक मात्रा में विटामिन-ए पाया जाता है। जो की हड्डियों, दांतो, और त्वचा के लिए बहुत जरुरी होता है। इसके अलावा विटामिन-ए महिलाओं की गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान भी बहुत लाभदायक होता है। साथ ही यह हमारी आँखों को भी स्वस्थ रखता है।

9. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं कद्दू के फायदे

अगर हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, तो इससे हमारा शरीर कुछ छोटी बिमारियों से बहुत आसानी से लड़ लेता है। कुछ शोध के अनुसार कद्दू के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व बीटा-कैरोटीन, फाइबर, राइबोफ्लेविन, विटामिन-ए, सी, ई, पोटैशियम, कॉपर और मैंगनीज। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते है। जिससे हृदय रोग, मोटापा और मधुमेह का जोखिम बहुत कम हो जाता है। आपको अपनी दिनचर्या में कद्दू की सब्जी का सेवन जरूर करना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कद्दू के नुकसान (Side Effects of Pumpkin in Hindi)

  • किसी भी चीज को नियंत्रित मात्रा में खाना ही फायदेमंद होता है। इसी तरह से अगर आप कद्दू या सीताफल को एक नियंत्रित मात्रा में सेवन करता है, तभी कद्दू खाने के फायदे आपको मिलेंगे। जिस तरह से किसी भी चीज के सेवन के फायदे होते है, उसी तरह से उसके थोड़े बहुत नुक्सान भी होते है। तो आइये जानते है, कद्दू के नुक्सान के बारे में –
  • जिन लोगो को मधुमेह की बीमारी है, उन्हें कद्दू का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। हालाकिं आपको ऊपर बताया गया है, की कद्दू मधुमेह के लिए फायदेमंद है, लेकिन आपको इसका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए। समय समय पर अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच भी कराते रहें।
  • जैसा की आपको बताया गया है, की कद्दू विटामिन-ए से समृद्ध होता है, और यह गर्भावस्था के दौरान फायदेमंद होता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इसका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। इससे परशानी हो सकती है।
  • जिन लोगो की त्वचा संवेदनशील होती है, उन्हें कद्दू के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। क्योकिं इससे ज्यादा सेवन से त्वचा पर एलर्जी हो सकती है।
  • अगर आपको किसी भी प्रकार की बीमारी है, तो एक बार कद्दू की सब्जी बीज या किसी भी तरह से इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • कुछ लोगों का शरीर कद्दू के प्रति संवेदनशील हो सकता है। अगर वो इसका सेवन करते हैं, तो कद्दू से एलर्जी हो सकती है।
  • कद्दू के सेवन के बाद गैस या पेट फूलने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें।यह जानकारी भी जरूर पढ़ें

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कद्दू का उपयोग (How to Use Pumpkin in Hindi)

  • कद्दू या सीताफल की सब्जी के बारे में सभी जानते है। हालाकिं कुछ लोग इसे पकाकर कच्चा भी खाते है। तो आइये जानते है, कद्दू के उपयोग से जुड़ी जानकारी –
  • कद्दू का उपयोग खीर बनाने के लिए भी किया जाता है, इसकी खीर दूध में मिलकर बनाई जाती है।
  • जिस तरह से अन्य सब्जियां होती है, उसी तरह से कद्दू की सब्जी भी बनाई जाती है।
  • कद्दू की सब्जी दो तरह से बनती है, एक नमकीन सब्जी और दूसरी मीठी कद्दू की सब्जी, मीठी कद्दू की सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है।
  • कद्दू की चटनी भी बनाई जाती है।
  • कुछ लोग कद्दू का उपयोग लड्डू बनाने के लिए भी करते है।
  • जैसा की आपको पहले ही बताया गया है, की कद्दू खाने के नुक्सान भी हो सकते है। इसलिए कद्दू का सेवन नियंत्रित मात्रा में ही करें, और अगर आपको किसी भी प्रकार
  • की कोई बीमारी है, तो डॉक्टर की सलाह के बिना कद्दू का सेवन ना करें।

कद्दू की खेती कैसे करें

कद्दू की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। जिसका उपयोग सब्जी के लिए किया जाता है। कद्दू की खेती करने के लिए खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था का होना बहुत जरुरी है। इसके अलावा खेत की मिटटी उपजाऊ होनी चाहिए। कद्दू की खेती गर्म और आद्र दोनों ही प्रकार की जलवायु में आराम से हो जाती है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में सीताफल की खेती की जाती है, इसके फलों को पकने के बाद लम्बे समय तक रखा जा सकता है। तो आइये अब जानते है, कद्दू की खेती के बारे में पूरी जानकारी –

कद्दू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

कद्दू की खेती करने के लिए मिटटी का पी.एच. मान 5 से 7 बिच होना उपुक्त माना जाता है। कद्दू की खेती के लिए आपको हमेशा इस तरह से खेत को तैयार करना चाहिए, जिसमे जल जमा ना हो सके। अधिक जल भराव वाली भूमि में कद्दू की खेती नहीं की जा सकते है।

कद्दू की खेती के जलवायु और तापमान

कद्दू की खेती भारत में ज्यादातर बारिश के मौसम में की जाती है, इसकी खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु उपयुक्त है। इसके पौधे ज्यादा सर्दी को सहन नहीं कर पाते है, सर्दियों के दौरान पाला पड़ने पर कद्दू के पौधे की पत्तियां ख़राब होने लगती है। लेकिन गर्मियों के मौसम में यह आसानी से विकसित हो जाते है। जिस समय पर पोधो पर फूल आते है, उस समय की बारिश फसल के लिए अच्छी नहीं होती है।

इससे पौधे पर बन रहे फूल ख़राब हो जाते है। अगर कद्दू की खेती के लिए उचित तापमान की बात की जाए, तो इसके पोधो को अनुकरण के समय लगभग 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, जब पौधे बड़े हो जाते है, तो उस वक्त 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह अच्छा विकास करते है।

कद्दू की उन्नत किस्में

कद्दू की कई उन्नत किस्मे पायी जाती है, जो की उत्पादन क्षमता के आधार पर इस प्रकार है।

काशी उज्जवल

इस किस्म का उत्पादन आमतौर पर उत्तर और दक्षिण भारत में किया जाता है। इसके एक पौधे पर लगभग चार से पांच फल लगते है। एक फल का वजन लगभग 10 से 15 किलोग्राम तक होता है। इस किस्म में प्रति हेक्टेयर में लगभग 550 किवंटल तक का उत्पादन हो जाता है। इसके फलों को सामान्य तापमान में लगभग 6 महीने तक रखा जा सकता है।

पूसा विश्वास

इस किस्म को उत्तर भारत के राज्यों में उगाया जाता है। इसके प्रत्येक फल में लगभग 5 किलो या इससे ज्यादा वजन होता है। इसके फलों का रंग सफ़ेद होता है, जिस पर कुछ कुछ दुरी पर सफ़ेद रंग के धब्बे भी होते है। इस किस्म में फलों को पकने में लगभग 120 दिन का समय लगता है। पूसा विशवास किस्म में प्रति हेक्टेयर में लगभग 400 किवंटल तक का उत्पादन हो जाता है।

पूसा विकास

इस किस्म को भारत के सभी हिस्सों में उगाया जाता है, यह आमतौर पर बरसात के मौसम में उगाएं जाते है। इस किस्म में पौधों की लम्बाई लगभग दो से तीन मीटर तक की होती है। इस प्रजाति के फलों का उपयोग ज्यादातर कच्चे फलों के रूप में किया जाता है। फलों का वजन लगभग दो किलो के आस पास तक होता है। इस किस्म में प्रति हेक्टेयर में लगभग 300 किवंटल तक का उत्पादन हो जाता है।

पूसा हाईब्रिड 1

इस किस्म को वसंत ऋतू के दौरान उगाया जाता है। इस किस्म में पौधों पर लगने वाले फलों का रंग पीला होता है, जिनका आकर गोल और चपटा होता है। फलों में वजन लगभग 5 किलो के आस पास होता है। इस किस्म में प्रति हेक्टेयर में लगभग 520 किवंटल तक का उत्पादन हो जाता है।

यहाँ पर बताई गयी सभी कद्दू की किस्मे प्रमुख थी जिन्हे ज्यादातर उगाया जाता है, इसके अलावा कद्दू की कई और किस्मे भी पायी जाती है।

कद्दू की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें

कद्दू की खेती के लिए भूमि का हवा युक्त और भुरभुरा होना अनिवार्य है। इसके लिए सबसे पहले खेत की जुताई करें, जुताई करने के बाद, खेत को कुछ दिन के लिए छोड़ दें, इसके बाद खेत में गोबर की खाद मिलाएं, और ऊपर से पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें। खेत को समतल करने के बाद उसमे छोटी छोटी धारियाँदार क्यारियां बना लें।

बीज रोपाई का तरीका

कद्दू के बीजों की रोपाई के लिए एक हेक्टेयर में लगभग तीन से चार किलों बीजों की मात्रा बिल्कुल सही है। बीजो की बुबाई से पहले इन्हे थीरम या बाविस्टीन द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए।

कद्दू का पौधा

कद्दू के बीजों को धोरेनुमा क्यारियों में लगाया जाता है। प्रतेयक क्यारी के बिच में लगभग 5 मीटर की दुरी होती है। और प्रत्येक बीज को लगाते समय लगभग एक से डेढ़ फिट की दूरी रखी जाती है, जिसकी वजह से पोधो का विकास अच्छी तरह हो सकें, और बेल ज्यादा फेल सकें। कद्दू के बीजों को उगाने का समय मौसम के अनुसार अलग अलग होता है।

सिचाई वाली जगह पर इसकी बुबाई मार्च या अप्रैल के महीने में लगाया जाता है। और जहाँ पर सिचाई का साधन नहीं होता है, वहां पर बारिश के मौसम में जून के महीने में उगाया जाता है। इसके अलावा दक्षिणी भारत में कद्दू के बीज (Pumpkin Seeds) को अगस्त के महीने में भी उगाया जाता है।

पौधों की सिंचाई

कद्दू के पौधों को सिचाई की पोधो के अंकुरित होने, और फलों के विकास के समय होती है। जिस समय पौधें अंकुरित होते है, उस समय जमीन में लगभग चार या पांच दिन तक नमी बनी रहनी चाहिए। गर्मियों के दिनों में सफ्ताह में एक बार खेत को पानी जरूर दें। इसके अलावा बारिश में के मौसम में पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

खाद की मात्रा

अगर आप कद्दू या सीताफल की खेती से अधिक मात्रा में उत्पादन करना चाहते है, तो इसके लिए खाद की उचित मात्रा की जरुरत होती है। इसके लिए बुबाई से पहले खेत में लगभग 10 से 15 गाड़ी गोबर की पुरानी खाद डालनी चाहिए। इसके अलावा कम्पोस्ट खाद का उपयोग भी कर सकते है।

लेकिन अगर आप खेत में रासायनिक खाद का उपयोग करना चाहते है, तो उसके लिए 50 किलो पोटाश, 50 किलो फास्फोरस, और 40 किलो नाइट्रोजन को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की आखिरी जुताई के वक्त छिड़क दें। इसके अलावा आप सिंचाई के समय भी 40 किलो मात्रा में नाइट्रोजन को भी खेत में दो बार छिड़क सकते है।

खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

कद्दू की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरुरी होता है। क्योकिं इसके पौधे जमीन पर बेल के रूप में बढ़ते है। हालाकिं कुछ जगह पर लोग बेलों को किसी तार के सहारे ऊपर भी चढ़ा लेते है। लेकिन कद्दू के पौधों को खरपतवार बहुत नुक्सान पहुँचती है। कद्दू की खेती को खरपतवार से प्राकृतिक और रासायनिक दोनों तरह से बचाया जा सकता है।

रासायनिक तरिके से खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए आप दवाइयों का छिड़काब कर सकते है। जबकि प्राकृतिक तरह से खरपतवार नियंत्रण से खेती को बचाने के लिए निराई गुड़ाई कर सकते है। इसके लिए पहली गुड़ाई बीज बोन के लगभग 20 से 25 दिन के अंदर कर देनी चाहिए। इसके बाद दूसरी गुड़ाई पहली गुड़ाई के लगभग 20 दिन बाद कर देनी चाहिए। प्रत्येक गुड़ाई को करते समय पौधों की जड़ो पर मिटटी को चढ़ा देना चाहिए।

पौधों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम

पोधो में रोग लगने पर आपको किसी कृषि सलाहकार से मदद लेनी चाहिए। इसके अलावा आप किसी भी कृषि केंद्र पर जाकर पौधे पर लग रही बीमारी के बारे में बताकर दवाई ले सकते है।

फलों की तुड़ाई कब करे

कद्दू के फल बीज बोन के लगभग 70 से 80 दिन बाद तोड़ने लायक हो जाते है। जबकि पके हुए फल लगभग 100 से 110 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। पके हुए फलों का रंग ऊपर से पीला हो जाता है। जब फलों का आकर बड़ा हो जाएँ, और वह तोड़ने लायक हो जाएँ, तो आपको किसी तेज धार वाले औजार से ठंडल से काट लेना चाहिए। इसके बाद आप इन फलों को बाजार में बेच सकते है।

कद्दू की खेती से कमाई

कद्दू की सभी तरह की उन्नत किस्मो से लगभग प्रति हेक्टेयर 400 किवंटल की पैदावार आसानी से हो जाती है। बाजार में कद्दू की कीमत लगभग 15 रूपये प्रति किलों तक होती है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर में किसान 6 लाख रूपये तक की कमाई आसानी से कर सकता है।

FAQ’s Pumpkin in Hindi

पंपकिन का हिंदी नाम क्या है?

पंपकिन को हिंदी में कुम्हड़ा या कद्दू कहते है, इसके अलावा इसे सीताफल के नाम से भी जाना जाता है।

कद्दू के कितने नाम है?

कद्दू, सीताफल, रामकोहला, काशीफल, तथा संस्कृत में कूष्मांड, वल्लीफल, पुष्पफल, और वृहत फल कहते हैं। इसके अलावा इसका अंग्रेजी नाम पंपकिन (Pumpkin) है।

कद्दू की तासीर क्या है?

कद्दू की तासीर गर्म होती है, यह कफ के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

कद्दू को सीताफल क्यों कहते हैं?

कद्दू को सीताफल या शरीफा के नाम से भी जाना जाता है। इसे सीताफल इसलिए कहा जाता है, क्योकिं माता सीता ने वनवास के समय श्री राम को यह फल भेंट किया था, जिसकी वजह से इस फल का नाम सीताफल पड़ा।

कद्दू के बीज खाने से क्या होता है?

कद्दू के बीज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते है। इनके अंदर समृद्ध मात्रा में जिंक पाया जाता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते है। इसके अलावा यह सर्दी-खांसी-जुकाम जैसी बिमारियों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके सेवन से आप इन बिमारियों से बच सकते है।

कद्दू को इंग्लिश में क्या बोलते हैं?

कद्दू को इंग्लिश में पंपकिन (Pumpkin) बोलते है।

कद्दू के बीजों का सेवन कैसे करें?

कद्दू के बीजों का सेवन कैसे करें (How to v Pumpkin Seeds in Hindi) कद्दू के बीजो का सेवन आप कई प्रकार से कर सकते है। आप कद्दू के बीजो को भूनकर भी खा सकते है। इसके अलावा आप कद्दू के बीजों को पीसकर इसे करी आदि में मिलकार भी खा सकते है।

Note – यह लेख कद्दू की जानकारी (Pumpking in Hindi) के बारे में था। जिसमे आपको कद्दू, कुम्हड़ा या सीताफल से जुड़ी सभी जानकारियां प्रदान की गयी है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित किसी भी तरह का कोई सवाल है, तो आप कमेंट करके बता सकते है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने किसी भी एक दोस्त के साथ जरूर शेयर करें।

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