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हेलमेट के बारे में तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे, क्योंकि वर्तमान में भारत में भी सड़कों का जाल बिछाया जा चुका है। ग्रामीण भारत में जिन इलाकों तक पहले सड़कें नहीं हुआ करती थी, आज वहाँ भी सड़कें पहुँच चुकी हैं। सड़कों के बढ़ने से सड़क पर चलने वाले वाहनों में भी काफी वृद्धि हुई है। खास तौर पर दुपहिये वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई है। दुपहिये वाहनों की वृद्धि होने के साथ साथ हेलमेट की माँग भी लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा जहाँ पहले लोग बिना हेलमेट के ही बाइक/स्कूटी लेकर घर से निकल जाया करते थे । वर्तमान में जागरूकता और ट्रैफिक नियमों की कठोरता ने उन्हें घर से हेलमेट पहनकर जाने पर मजबूर किया है (Helmet Manufacturing Business plan in Hindi)

 

 

कुछ लोग हेलमेट की केवल इसलिए पहनते हैं ताकि ट्रैफिक पुलिस उनका भारी भरकम चालान न कर दे, तो कुछ लोग हेलमेट की उपयोगिता को समझते हुए जागरूकतावश भी हेलमेट पहनना पसंद करते हैं। और आए दिनों इन्टरनेट पर ऐसे बहुत सारे विडियो देखे जा सकते हैं, जिसमें हेलमेट पहनने की वजह से किसी दुर्घटना में लोगों की जान बच जाती है। ऐसे में लोगों के बीच हेलमेट के उपयोग के प्रति जागरूकता बढती है, और वे हेलमेट का उपयोग करने के लिए प्रेरित होते हैं। हेलमेट पुराने होते हैं तो लोग इन्हें बदलते भी रहते हैं यही कारण है की हेलमेट की माँग भी लगातार बाज़ारों में हमेशा बनी रहती है।

 

Helmet Manufacturing Business in Hindi

 

हेलमेट के इस्तेमाल और बाज़ार

हेलमेट का इस्तेमाल बाइक/स्कूटी स्वरों द्वारा अपने सिर को चोट से बचाने के लिए एक सुरक्षात्मक कवच के तौर पर किया जाता है। सड़क पर कभी भी कोई भी दुर्घटना घट सकती है, उस दुर्घटना में बाइक सवारों के सर पर ज्यादा चोट न आए ताकि उनकी जान को कोई खतरा न हो, इस उद्देश्य से बाइक सवारों द्वारा हेलमेट का उपयोग किया जाता है।

बाइक सवारों द्वारा इस्तेमाल में लाये जाने वाले कई प्रकार के हेलमेट होते हैं इनमें कुछ वेंटिलेशन, फेस शील्ड, कान की सुरक्षा, इंटरकॉम इत्यादि सुविधाएँ भी प्रदान करते हैं। लेकिन हेलमेट का प्राथमिक उद्देश्य कोई दुर्घटना होने पर बाइक सवार के सिर को चोट इत्यादि से बचाने का होता है।

आए दिनों सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों बाइक सवार सिर्फ इसलिए अपनी जान गँवा देते हैं क्योंकि उन्होंने राइडिंग के दौरान हेलमेट नहीं पहना हुआ होता है। यही कारण है की वर्तमान में सरकार ने ट्रैफिक नियमों को थोड़ा कठोर बना दिया है। जिसमें बिना हेलमेट के राइडिंग करने पर चालान राशि को कई गुना बढ़ दिया गया है, ताकि लोग चालान के डर से हेलमेट पहनना शुरू कर दें।

इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस एवं अन्य कई संस्थाएं अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ऐसे विडियो को प्रकाशित करती रहती हैं, जिसमें हेलमेट पहने हुए होने के कारण बाइक सवारों की जान बच जाती है। ऐसे विडियो से लोगों में हेलमेट के प्रति सकारात्मक भाव और जागरूकता पैदा हो रही है। और अब लोग इस बात को मान रहे हैं की हेलमेट पहनना उन्हीं की जान की हिबाजत के लिए है।

दूसरी तरफ सड़कों के विस्तारीकरण और लोगों की डिस्पोजेबल इनकम में हो रही वृद्धि के कारण लोग ज्यादा से ज्यादा स्कूटी/बाइक खरीद रहे हैं। और जिसके पास स्कूटी/बाइक है उसे हेलमेट तो चाहिए ही चाहिए होता है, यही कारण है की हेलमेट की माँग भी लगातार बढती जा रही है।

हेलमेट के प्रकार (6 Types of Helmet):

प्रमुख रूप से हेलमेट छह प्रकार के होते हैं, जिनकी लिस्ट नीचे दी गई है।

  • फुल फेस हेलमेट
  • मोड्यूलर हेलमेट
  • ओपन फेस हेलमेट
  • हाफ हेलमेट
  • ऑफ-रोड हेलमेट
  • डुअल स्पोर्ट हेलमेट  

 

 

 

फुल फेस हेलमेट

इस प्रकार का यह हेलमेट सिर और खोपड़ी के हिस्से को तो कवर करता ही है साथ में आगे की तरफ ठोड़ी को भी कवर करता है। ठोड़ी को कवर करने की इसकी यही विशिष्टता इसे अन्य हेलमेट से कुछ अलग बनाती है।

कहने का आशय यह है की फुल फेस हेलमेट पहनने से सिर और खोपड़ी में चोट लगने का खतरा नहीं रहता साथ ही यह ठोड़ी को भी सुरक्षा प्रदान करता है।

मोड्यूलर हेलमेट

मोड्यूलर हेलमेट एक फुल फेस या ओपन फेस हेलमेट हो सकता है लेकिन इसकी विशिष्टता यह है की इसमें लगे चिन बार को एक बटन इत्यादि के माध्यम से आसानी से ऊपर नीचे या मूव किया जा सकता है। हेलमेट के टॉप अर लगा कवर स्लाइड वाला होता है। इस तरह के ये हेलमेट फुल फेस और ओपन फेस हेलमेट के बीच की कड़ी हैं।  

ओपन फेस हेलमेट  

ओपन फेस हेलमेट की अपनी एक विशेषता यह है की इनमें चिन बार नहीं होता है। और चूँकि इसमें चिन बार नहीं होता है तो यह फुल फेस हेलमेट की तुलना में हल्का होता है।  यह सिर और खोपड़ी को तो सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन ठोड़ी को सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।

हाफ हेलमेट  

आधा हेलमेट एक टोपी के समान होता है आम तौर पर कंस्ट्रक्शन साईट पर इंजिनियर और वर्कर्स द्वारा पहने जाने वाला हेलमेट की तरह यह भी एक टोपी के समान हो होता है। यह बाइक सवार के सिर के पूरे हिस्से को भी कवर नहीं करता है बल्कि सिर के उपरी हिस्से को ही कवर करता है।

ऑफ रोड हेलमेट

ऑफ रोड हेलमेट का मतलब ऐसे हेलमेट से है जिनका इस्तेमाल सड़कों पर बाइक चलाते समय नहीं, बल्कि सड़कों के अलावा किसी गन्दी जगह या खेल में बाइक राइडिंग करते समय किया जाता है। इन्हें आम तौर पर ज्यादा वेंटिलेशन के लिए डिजाईन किया गया होता है, इसलिए ये सामान्य हेलमेट की तुलना में हलके होते हैं।  

डुअल स्पोर्ट हेलमेट 

इस प्रकार के हेलमेट का इस्तेमाल दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है आप इसे सामान्य सड़क में राइडिंग करने के इस्तेमाल में भी ला सकते हैं। और किसी एडवेंचर साहसिक खेल में बाइक राइडिंग के दौरान भी इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है ।

 

 

 

हेलमेट बनाने के बिजनेस के लिए जगह कितनी चाहिए?

एक हेलमेट बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जमीन की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी किस स्तर पर इस बिजनेस को शुरू करना चाहता है।एक बड़ा प्लांट स्थापित करने के लिए बड़ी जगह की आवश्यकता हो सकती है, जबकि एक छोटा सा प्लांट स्थापित करने के लिए भी उद्यमी को कम से कम 1500 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

  • वर्कशॉप एरिया – इस एरिया में उद्यमी को मशीनरी और उपकरण इंस्टाल करने होते हैं, और इसी एरिया में हेलमेट बनाने सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण किया जाता है। वर्कशॉप के लिए लगभग 800 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है ।
  • इन्वेंटरी एरिया – जहाँ पर कच्चा माल स्टोर करने और उत्पादित माल को स्टोर करने के लिए स्टोर बनाये जा सकें इन्वेंटरी एरिया के लिए लगभग 400 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।
  • ऑफिस एरिया – एक ऐसा एरिया जहाँ से बिल, एकाउंटेंसी सहित सभी प्रकार के ऑफिस के काम किये जा सकें उसे ऑफिस एरिया कहा जा सकता है । एक छोटा सा ऑफिस स्थापित करने के लिए भी कम से कम 200 वर्गफीट जगह की आवश्यकता तो होती ही है।
  • इन सबके अलावा एक फैक्ट्री में लगभग 100 वर्गफीट जगह पार्किंग के लिए भी चाहिए हो सकती है।   

अब सवाल यह उठता है की उद्यमी को हेलमेट बनाने की फैक्ट्री कहाँ पर स्थापित करनी चाहिए। उद्यमी इसे शुरू करने के लिए कहीं भी गैर कृषि योग्य भूमि पर जमीन का प्रबंध कर सकता है।

लेकिन शुरूआती दौर में यदि उद्यमी इस बिजनेस (Helmet Manufacturing Business)  को शुरू करने में आने वाली लागत को बढ़ाना नहीं चाहता तो वह किसी बनी बनाई सस्ती सी जगह पर बिल्डिंग किराये पर भी ले सकता है । जिसके लिए उसे ₹30000 तक हर महीने किराया देने की आवश्यकता हो सकती है।

हेलमेट बनाने का बिजनेस के लिए क्या क्या लाइसेंस चाहिए?    

भारत में कोई भी बिजनेस वैधानिक रूप से शुरू करने के लिए लाइसेंस और पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती ही होती है। इसलिए यदि आप अपनी हेलमेट बनाने की फैक्ट्री खोलना चाहते हैं तब भी आपको कई तरह के लाइसेंस और पंजीकरण कराने की आवश्यकता हो सकती है।

  • बिजनेस रजिस्ट्रेशन के तौर पर आप अपने व्यवसाय को प्रोप्राइटरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इत्यादि में से किसी एक के तहत रजिस्टर करा सकते हैं।
  • व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड और बैंक में चालू खाता खुलवा सकते हैं।
  • कर पंजीकरण के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
  • लोकल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं ।
  • फैक्ट्री लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं ।
  • पोल्यूशन और फायर विभाग से एनओसी प्राप्त कर सकते हैं ।
  • अपने उद्यम को एमएसएमई श्रेणी के तहत रजिस्टर करने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
  • हेलमेट पर ISI Mark होना जरुरी है इसके लिए BIS Certification प्राप्त करना होता है। जो हेलमेट की क्वालिटी सुनिश्चित करता है।
  • यदि स्वयं के ब्रांड नाम के तहत हेलमेट बेचना चाहते हैं तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराने की भी आवश्यकता होती है।    

 

 

 

हेलमेट बनाने के लिए मशीनरी और कच्चा माल क्या चाहिए?

हेलमेट बनाने के लिए कई तरह की मशीनरी और कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अच्छी बात यह है की यह सारी मशीनरी और कच्चा माल स्वदेशी मार्किट में आसानी से उपलब्ध है, इसलिए आप भारत के किसी भी बड़े महानगर से इस बिजनेस को शुरू करने में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरण खरीद सकते हैं ।   

  • इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन जिसकी कीमत ₹12.5 लाख रूपये मान के चल सकते हैं।
  • स्टिचिंग मशीन जिसकी कीमत ₹35000 मान लेते हैं ।
  • टेंसिल टेस्टिंग मशीन जिसकी कीमत ₹3 लाख मान के चल सकते हैं ।
  • रिवेटिंग मशीन जिसकी कीमत ₹1 लाख मान लेते हैं।
  • ड्रायर जिसकी कीमत₹50000 मान लेते हैं।
  • मैकेनिकल उपकरण एवं डाई जिनकी कीमत ₹1.5 लाख मान के चल सकते हैं।

इस प्रकार से देखें तो कुल मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में आने वाली लागत लगभग ₹18.85 लाख हो सकती है । हेलमेट बनाने के व्यवसाय में कच्चे माल के तौर पर निम्नलिखित सामग्री इस्तेमाल में लाई जाती है।

  • एबीएस (Acrylonitrile Butadiene Styrene)
  • ईपीएस (expanded polystyrene)
  • पॉलीकार्बोनेट रेसिन
  • एडहेसिव फॉर्म
  • लॉक स्ट्रैप्स
  • स्टीकर
  • बुश
  • लैकर
  • ऐक्रेलिक पेंट
  • क्लॉथ और छलनी       

 

 

 

कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होती है?

किसी भी बिजनेस को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए स्टाफ और कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। हेलमेट बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए भी उद्यमी को कई तरह के कर्मचारियों की आवश्यकता हो सकती है ।

  • मशीन ऑपरेटर – 2
  • हेल्पर       – 4
  • कुशल/अकुशल श्रमिक  – 3
  • सुपरवाईजर          – 1
  • अकाउंटेंट            – 1
  • सेल्समेन            – 1

 इस तरह से आप देख सकते हैं की इस बिजनेस को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए कम से कम 12-13 कर्मचारियों को काम पर रखने की आवश्यकता हो सकती है।

हेलमेट बनाने की प्रक्रिया (Manufacturing Process Of Helmet)

हेलमेट बनाने की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले इसमें इस्तेमाल में लाये जाने वाले कच्चे माल को गुणवत्ता मानकों के आधार पर चेक कर लिया जाता है । एक हेलमेट को अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया जाना बेहद आवश्यक हो जाता है।

  • इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन का इस्तेमाल करके EPS और ABS सामग्री से खोल तैयार किये जाते हैं फिर इन दोनों खोलों को एक दुसरे से अटेच कर दिया जाता है। इन्हें अटेच करने में इंडस्ट्रियल एडहेसिव का इस्तेमाल किया जाता है।
  • हेलमेट में इस्तेमाल में लाये जाने वाला वाईजर भी इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन की मदद से वही प्रक्रिया के साथ बनाया जाता है जिस प्रक्रिया के साथ हेलमेट का खोल बनाया जाता है।
  • जब हेलमेट के बाहरी आवरण को तैयार कर लिया जाता है तो उसके बाद इसको स्मूथ बनाने के बफिंग और sanding की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि इसमें पेंट अच्छे ढंग से किया जा सके।
  • उसके बाद पेंटिंग प्रक्रिया को शुरू करना होता है लेकिन उससे पहले हेलमेट को डस्ट फ्री किया जाता है। बाहरी आवरण की सफाई के लिए अल्कोहल और वैक्यूम का इस्तेमाल किया जाता है।         

 

हेलमेट बनाने का बिजनेस शुरू करने में लागत

ऐसे लोग जो खुद का हेलमेट बनाने का बिजनेस शुरू करने पर विचार कर रहे हैं उन्हें इसके लिए लाखों रूपये खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है । हालांकि इसमें आने वाली लागत बिजनेस के आकार, उत्पादन क्षमता इत्यादि पर निर्भर करती है । लेकिन एक औसतन प्लांट स्थापित करने के लिए उद्यमी को निम्न मदों पर खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है।

खर्चे का विवरण खर्चा रुपयों में
मशीनरी और उपकरणों पर खर्चा ₹18.85 लाख
तीन महीने का किराया ₹90000
फर्नीचर और फिक्सिंग का खर्चा ₹2.5 लाख
सैलरी, कच्चा माल इत्यादि कार्यशील लागत ₹7 लाख
कुल लागत 29.25 लाख

 

हेलमेट बनाने के बिजनेस से मुनाफा

हेलमेट बनाने के बिजनेस से होने वाला मुनाफा भी उद्योग के आकार और प्रोडक्शन क्षमता पर निर्भर करता है। इसके अलावा हर तरह के बिजनेस में कड़ी पर्तिस्पर्धा व्याप्त है इसलिए होने वाली कमाई इस बात पर भी निर्भर करती है की उद्यमी कीमत निर्धारण की कौन सी निति अपनाता है।

क्योंकि बाज़ार में बने रहने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अच्छी डिजाईन और गुणवत्ता वाले हेलमेट बेचना जरुरी हो जाता है । इस तरह के बिजनेस (Helmet Manufacturing Business) से उद्यमी साल में लगभग ₹9 लाख तक शुद्ध मुनाफा कमा सकता है।

 

 

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