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गोपाल सिंह नेपाली कौन थे ? Gopal Singh Nepali (Indian poet) गोपाल सिंह नेपाली हिन्दी साहित्य के जाने माने कवि, गीतकार और पत्रकार थे। प्रसिद्ध कवि गोपाल सिंह नेपाली का वास्तविक नाम गोपाल बहादुर सिंह था। उन्हें हिन्दी और नेपाली भाषा पर अच्छी पकड़ थी।फलतः उन्होंने हिन्दी के साथ साथ नेपाली भाषा में भी कई रचनायें लिखी। अपने जीवन काल में उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। जिसमें ‘रतलाम टाइम्स‘, ‘चित्रपट‘, ‘सुधा‘ और ‘योगी‘ नामक पत्रिका प्रमुख हैं। Gopal Singh Nepali का इतिहास Biography जीवन परिचय in Hindi

गोपाल सिंह नेपाली का जीवन परिचय - Gopal Singh Nepali Biography in Hindi

गोपाल सिंह नेपाली का जीवन परिचय – Gopal Singh Nepali Biography in Hindi

 

उत्तर छायावाद के रूप में प्रसिद्ध नेपाली जी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न थे। उन्हें हिन्दी और नेपाली दोनों भाषा पर अच्छी पकड़ थी। नेपाली जी ने हिन्दी और नेपाली भाषा में दर्जनों गीत की रचना की।

उन्होंने बॉलीवूड और नेपाली फिल्मों के लिए 400 से भी ज्यादा गीत लिखे। इतनी अधिक संख्या में गीतों को लिखने के कारण ही गोपाल सिंह नेपाली को गीतों का राजकुमार कहा जाता है।

उनकी रचना में जहां एक तरफ शृंगार रस की परिपूर्णता दिखती है। वहीं दूसरी तरफ देश प्रेम से भरे गीतों के रचना कर उन्होंने 1962 में भारत चीन युद्ध के समय युवाओं में अतिरिक्त जोश भरने का कार्य किया।

आईए इस लेख के माध्यम से प्रसिद्ध कवि गोपाल सिंह नेपाली की जीवनी, हिन्दी और नेपाली साहित्य में उनका योगदान, फिल्मों में उनके अमूल्य गीतों के रचना के बारें में जानते हैं।

 

कवि गोपाल सिंह नेपाली संक्षिप्त जीवनी – Gopal Singh Nepali Information in Hindi

मूल नाम – गोपाल बहादुर सिंह
पूरा नाम – गोपाल बहादुर सिंह ‘नेपाली’
जन्म वर्ष – 11 अगस्त 1911
जन्म स्थान – बिहार पश्चिमी चंपारण
माता का नाम – वीणा रानी
पिता का नाम – रेलबहादुर सिंह
प्रसिद्धी – गीतकार, लेखक, कवि और संपादक के रूप में
मृत्यु – 17 अप्रेल 1963
प्रसिद्ध रचना – घूंघट घूंघट नैना नाचे गोपाल सिंह नेपाली

 

गोपाल सिंह नेपाली का जीवन परिचय – About Gopal Singh Nepali in Hindi

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म व शिक्षा दीक्षा

महान कवि गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 ईस्वी में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बेतिया में हुआ था। बेतिया वर्तमान में बिहार राज्य के पश्चिमी चम्पारन जिले में पड़ता है। गोपाल सिंह नेपाली के पिता का नाम रेलबहादुर सिंह और माता जी का नाम वीणा रानी था।

उनका प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा अपने ही बेतिया में सम्पन्न हुई। हालांकि कहा जाता है की वे उच्च शिक्षा से वंचित रहे। फिर भी उन्होंने कड़ी मेहनत के वल पर हिन्दी और नेपाली भाषा पर निपुणता हासिल की।

उन्होंने अपनी लेखनी से सिद्ध कर दिया की केवल स्कूली शिक्षा और सर्टिफिकेट ही सफलता की निशानी नहीं हो सकती। मात्र 23 वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई थी।

 

सेना में नौकरी

गोपाल सिंह नेपाली ने सेना में भी काम किया। उनके पिता श्री रेलबहादुर सिंह भी सेना में हवलदार मेजर थे। उन्हें पंजाब रेजिमेंटल सेंटर में प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। सेना में सेवा करते हुए वे सार्जेंट के रेंक तक प्रोमोशन पाये।

कहा जाता है की गोपाल सिंह नेपाली एक उत्कृष्ट खिलाड़ी भी थे। उनका प्रिय खेल में हॉकी, बास्केटबॉल शामिल था। सेना में अपने सेवा के दौरान उन्होंने अंतर-रेजिमेंटल और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में अपने रैजमेंट का प्रतिनिधित्व किया था। 

बाद में उनकी पदोन्नति कंपनी हवलदार प्रमुख के रूप में हुई। सेकंड वर्ल्ड वार के समाप्ति के बाद वे ब्रिटिश राष्ट्रमंडल व्यवसाय दल के रूप में जापान गए। सेना में नौकरी के बाद वे फिल्मों से नाता जोड़ लिया।

 

हिन्दी और नेपाली फिल्मों में योगदान

कहा जाता है की लोकप्रिय गीत रचना के बाद भी उनके जीवन में लम्बे समय तक आर्थिक तंगी रही। उनकी मुलाक़ात तुलाराम जालान से होने के बाद उन्होंने उनसे अनुबंध कर लिया। इस प्रकार उनकी फिल्म नगरी में प्रवेश हुआ।

नेपाली जी ने सबसे पहले फिल्म ‘मजदूर’ के लिए गीत की रचना की थी। उनके द्वारा लिखे गये गीत लोगों को बहुत पसंद आए। इन गीतों में कुछ गीत काफी लोकप्रिय हुये। आगे चलकर वे निर्माता और निर्देशक भी बने।

उन्होंने ‘नेपाली पिक्चर्स’ और ‘हिमालय फिल्म्स’ की स्थापना किया। इस प्रकार एक निर्माता निर्देशक के रूप में भी उन्होंने ढ़ेर सारे नाम कमाए। अपने निर्देशन में उन्होंने ‘नजराना’, ‘सनसनी‘ और ‘खुशबू’ नामक तीन फीचर फिल्मों का निर्माण किया।

 

गीतों के राजकुमार थे गोपाल सिंह नेपाली

हिन्दी के गीतकारों में उनका स्थान अग्रणी है। उन्होंने हिन्दी और नेपाली भाषा के 60 से अधिक फिल्मों के लिए 400 से भी अधिक गीत लिखे। इसी करना गोपाल सिंह नेपाली को “गीतों का राजकुमार” कहा जाता है।

 

देशभक्ति का जज्बा

नेपाली जी के अंदर देश भक्ति का जज्बा कूट-कूट का भरा था। गोपल सिंह नेपाली एक बहुत बड़े देश भक्त थे। जब सन् 1962 में भारत और चीन बीच लड़ाई चल रही थी।

तब उन्होंने देश के सैनिकों और युवाओ के अंदर देशभक्ती की भावना को प्रबल करने के लिए अनेकों देशभक्ति कविता की रचना की।

देशभक्ति से ओत पोत उनकी रचनाओं में ‘सावन’, ‘कल्पना’, ‘ऑंचल’, ‘उमंग’, ‘रागिनी तथा नीलिमा’, ‘पंछी’ ‘रिमझिम’ , ‘पंचमी’,  ‘नवीन’, और ‘हमारी राष्ट्रवाणी’ आदि प्रमुख हैं।

पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन में योगदान

गोपली सिंह नेपाली बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक कवि, लेखक, गीतकार, निर्माता, निर्देशक और पत्रकार भी थे। उन्होंने काफी समय तक पत्रकारिता भी की। साथ ही अपने जीवन में वे कई पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

उन्होंने ‘रतलाम टाइम्स’, ‘चित्रपट’, ‘सुधा’, ‘पुण्य भूमि’ एवं ‘योगी‘ नामक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक के रूप में कार्य किया। उन्हें प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साथ भी काम करने का मौका मिला। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साथ मिलकर उन्होंने ‘सुध’ नामक हिन्दी मासिक पत्रिका का संपादन किया। 

 

 

गोपाल सिंह नेपाली का साहित्यिक परिचय

महान कवि गोपाल सिंह नेपाली के अंदर विद्वता कूट-कूट कर भरी हुई थी। नेपाली जी को बचपन से लिखने में काफी रुचि थी।गोपाल सिंह ‘नेपाली’ की रचनाएँ जहां देश-प्रेम से भरी होती थी।

वहीं उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाओं की सूक्ष्म अनुभूतियों की अभिव्यक्ति नजर आती थी। उनकी गिनती हिन्दी साहित्य जगत में एक छायावाद कवि के रूप में की जाती है।

उनकी काव्य संग्रह की बात की जाय तो उनका पहला कविता संग्रह ‘उमंग’ था जो 1933 में प्रकाशित हुआ। नेपाली जी की रचनाओं में प्रकृति-प्रेम, देश-प्रेम तथा मानवीय भावनाओं का मनोरम चित्रण देखने को मिलता है।

गोपाल सिंह नेपाली की रचनाएं

गोपाल सिंह नेपाली की कविताएं और उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘हिमालय ने पुकारा’, ‘सावन’, ‘कल्पना’, ‘रागिनी’ ‘पंचमी’, ‘भारत गगन के जगमग सितारे’, ‘नीलिमा’, ‘आँचल’, ‘पंचमी’, ‘नवीन’, ‘रिमझिम’, ‘वसंत गीत’, ‘हमारी राष्ट्रवाणी’ और ‘पंछी’ आदि प्रमुख हैं।

गोपाल सिंह नेपाली का निधन

गोपाली सिंह नेपाली ने लगभग 53 वर्ष तक हिन्दी और नेपाली साहित्य का सेवा की। लेकिन 17 अप्रैल 1963 को गोपाल सिंह नेपाली जी का बिहार के भागलपुर में निधन हो गया।

उन्होंने अपने जीवन के मात्र 53 साल में हिन्दी साहित्य में जो योगदान दिया वह कालजयी है। हिन्दी और नेपाली साहित्य और फिल्मी दोनों जगत इस महान कवि को हमेशा याद करेगा। 

गोपाल सिंह नेपाली संकलित कविताएँ

आइये गोपाल सिंह नेपाली की कविता के कुछ अंश से अवगत होते हैं।

गोपाल सिंह नेपाली की कविता हिमालय और हम

1. इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही । पर्वत-पहाड़ से भरी धरा पर केवल पर्वतराज यही ।। अंबर में सिर, पाताल चरण, मन इसका गंगा का बचपन, तन वरण-वरण मुख निरावरण, इसकी छाया में जो भी है, वह मस्‍तक नहीं झुकाता है । ग‍िरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ।।

2. हर संध्‍या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है। हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है।। इसकी छाया में रंग गहरा है देश हरा, प्रदेश हरा, हर मौसम है, संदेश भरा, इसका पद-तल छूने वाला वेदों की गाथा गाता है। गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ।।

3. जैसा यह अटल, अडिग-अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी। है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी।। कोई क्‍या हमको ललकारे हम कभी न हिंसा से हारे, दु:ख देकर हमको क्‍या मारे, गंगा का जल जो भी पी ले, वह दु:ख में भी मुसकाता है । गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ।।

 

 

गोपाल सिंह नेपाली की कविता सरिता

यह लघु सरिता का बहता जल,
कितना शीतल, कितना निर्मल।

हिमगिरि के हिम से निकल निकल,
यह विमल दूध-सा हिम का जल।

रखता है तन में इतना बल।
यह लघु सरिता का बहत जल।।

निर्मल जल की यह तेज धार,
करके कितनी श्रृंंखला पार।

बहती रहती है लगातार,
गिरती-उठती है बार-बार।

करता है जंगल में मंगल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।

कितना कोमल, कितना वत्सल,
रे जननी का वह अन्तस्तल।

जिसका यह शीतल करुणा जल,
बहता रहता युग-युग अविरल।

गंगा, यमुना, सरयू निर्मल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।

 

 

लेख से संबंधित प्रश्न (F.A.Q)

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म कहां हुआ था? 

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 ईस्वी में बिहार राज्य के वर्तमान पश्चिमी चंपारण जिले में हुआ था। 

गोपाल सिंह नेपाली का मूल नाम क्या है ?

प्रसिद्ध कवि गोपालसिंह नेपाली का मूल नाम गोपाल बहादुर सिंह है।

गोपाल सिंह नेपाली की मृत्यु कब हुई?

गोपाल सिंह नेपाली की मृत्यु 17 अप्रैल 1963 हुई।

गोपाल सिंह नेपाली किन भाषाओं के प्रसिद्ध कवि थे ?

कवि गोपाल सिंह नेपाली हिन्दी और नेपाली भाषाओं के प्रसिद्ध कवि थे।

 

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