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गैंगस्टर “माया डोलास” की सच्ची कहानी | Maya Dolas history in Hindi गैंगस्टर माया डोलास – Maya Dolas की कहानी को 2007 की फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला – Shootout at Lokhandwala में दर्शाया गया है, जिसमे एक्टर विवेक ओबेरॉय ने माया का किरदार निभाया था और अमृता सिंह ने उनकी माँ रत्नप्रभा डोलास की भूमिका निभाई थी।

 

 

 

 

 

 

गैंगस्टर “माया डोलास” की सच्ची कहानी – Maya Dolas history in Hindi

माया डोलास का जन्म महिंद्रा डोलास के नाम से हुआ था, विठोबा और रत्नप्रभा डोलास के घर हुआ। उनकी छः संतानों में से वह एक था। डोलास ने मुंबई के आईटीआई से पढाई पूरी की है। 1980 में डोलास अशोक जोशी की गैंग में शामिल हो गया और अपने बलबूतो पर जल्द ही उसने अपनी छाप बना ली। अशोक जोशी की गैंग के लिए कंजूर गाँव में वह बहुत से रैकेट चलता था, साथ ही वह बायकुल्ला कंपनी से भी जुड़ा हुआ था।

25 साल की उम्र में ही मुंबई पुलिस कमिश्नर के हातो 1991 में लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स शूटआउट एनकाउंटर में वह मारा गया।

 

 

 

 

 

 

शूटआउट एट लोखंडवाला :

लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स उच्च-मध्यम वर्गीय घरो का एक कॉम्प्लेक्स था, जो मुंबई के अँधेरी में लोखंडवाला स्वाति में आता है। 1991 में दावूद और उनके आदमी माया डोलास और दिलीप बुवा चार अन्य लोगो के साथ उसी अपार्टमेंट में थे जब मुंबई पुलिस ने उन्हें चारो तरफ से घेर लिया था। उस समय मुंबई पुलिस का नेतृत्व आफताब अहमद खान कर रहे थे, कथित तौर पर ऐसा कहा जाता है की दावूद ने ही उनके आदमियों को मारने की टिप पुलिस को दे रखी थी।

चार घंटो तक चलने वाले इस एनकाउंटर को काफी न्यूज़ चैनल पर प्रसारित किया जा रहा था, जिसमे डोलास को बदनाम भी किया जा रहा था। एनकाउंटर के बाद कहा जाता है की एंटी टेररिस्ट स्क्वाड को डोलास के पास 7 लाख रुपयों की अमानत मिली थी। लेकिन डोलास के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में मुंबई पुलिस कई कोशिशो के बावजूद असफल ही रही।

डोलास की माँ रत्नप्रभा ने शूटआउट एट लोखंडवाला फिल्म के खिलाफ आवाज उठाकर कोर्ट में भी गयी थी, उनके अनुसार फिल्म में उनके बेटे की छवि को गलत दिखाया गया है। उदाहरण के लिए, फिल्म में उन्होंने 9 साल की उम्र में ही अपने पिता को अपमानजनक मार दिया था, और 1997 में उनकी मृत्यु हो गयी। साथ ही उनकी माँ ने यह भी बताया की माया डोलास आईटीआई की परीक्षा पास कर चूका था। साथ ही फिल्म में यह भी दिखाया गया है की रत्नप्रभा अपने बेटे को क्रिमिनल गतिविधियों को बढ़ाने के लिए उसका साथ देती है, इसीके चलते प्रोड्यूसर को दोबारा फिल्म बनानी पड़ी।

छोटा राजन ने भी फिल्म पर सवाल उठाये थे और कहा था की फिल्म में “काफी तथ्यों को बिगाड़कर बताया गया” है। जबकि ए.ए. खान नाम के एक पुलिसकर्मी के अनुसार इस ऑपरेशन का विडियो भी बनाया गया था और सार्वजानिक जगहों पर इसे दिखाया भी गया।

जबकि फिल्म के डायरेक्टर्स ने दावा किया था की यह फिल्म पूरी तरह से काल्पनिक है, हालाँकि फिल्म में उनके नाम का उपयोग किया गया है लेकिन फिल्म की शुरुवात में ही उनकी वास्तविक छवि से माफ़ी मांगी गयी है।

 

 

 

 

 

 

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