महान कवि कबीर दास जी के बारे में कौन नहीं जानता| यह भारत के कवि और समाज सुधारक थे कबीर दास के नाम का अर्थ महानता है| जय भारत के सबसे महान कवियों में से एक है जब भी कभी भारत में संस्कृत भाषा और धर्म चर्चा में रहता है| तो सबसे पहले कबीर दास जी का नाम और उनके दोहे हमारे सामने रखे जाते है |
महान कवि कबीर दास जी का जन्म वर्ष 1440 में हुआ था| यह हिंदी साहित्य के विद्वान थे लेकिन इनके माता-पिता जी के बारे में कोई भी जानकारी स्पष्ट नहीं है| ऐसा माना जाता है कि इनकी परवरिश बेहद गरीब परिवार में हुई थी और यह परिवार मुस्लिम परिवार था कबीर दास जी बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे और आगे चलकर वे एक महान साधु बने कुछ लोगों का कहना है| कि उनके पिताजी का नाम नीरू और माताजी का नाम नीमा था यह उत्तर प्रदेश के काशी के रहने वाले थे पर यही इनका जन्म हुआ था इनकी पत्नी का नाम लोई था जिन से इन्हें 1 पुत्र और एक पुत्री हुई थी पुत्र का नाम कमल और पुत्री का नाम कमली था महान कवि कबीर दास जी की कर स्थली बनारस काशी थी|
निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें ।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए ।
भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि निंदकहमेशा दूसरों की बुराइयां करने वाले लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्यूंकि ऐसे लोग अगर आपके पास रहेंगे तो आपकी बुराइयाँ आपको बताते रहेंगे और आप आसानी से अपनी गलतियां सुधार सकते हैं। इसीलिए कबीर जी ने कहा है कि निंदक लोग इंसान का स्वभाव शीतल बना देते हैं।
महान कवि कबीर दास जी की शिक्षा दीक्षा कहां से हुई इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं है| वैसे भी अनुमान लगाकर अपने अपने स्थान को दर्शाते हैं महान कवि कबीर दास जी को कई भाषाओं का ज्ञान था| वे कई साधु संतों के साथ जगह-जगह भ्रमण करते थे| इसलिए उन्हें कई सारी भाषाओं का ज्ञान हो गया था| इसके साथ ही कबीर दास अपने विचारों और अनुभवों को स्थानीय भाषा के रूप में लोगों के सामने रखते थे और और उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया करते थे कबीर दास जी ने गुरु के स्थान को भगवान के स्थान से ऊंचा बताया था क्योंकि गुरु भी एक ऐसा साधन है जिसके जरिए हमें भगवान के बारे में जानने को मिलता है कबीर दास जी ने गुरु की तुलना कुम्हार से की है जो मिट्टी को अपने शिष्यों की तरह ठोक पीटकर एक पात्र के आकार में बदल देता है इन सबके अलावा कबीरदास हमेशा सत्य बोलने वाले निडर और निस्वार्थ व्यक्तियों में से एक थे वे कटु सत्य कहने से भी कभी भी डरते नहीं थे|
कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन काशी में गुजारा लेकिन अपने अंतिम घड़ी में वे मगहर चले गए उस समय के लोगों को ऐसा लगता था कि मगहर में मरने वालों को नर्क की प्राप्ति होती है| और काशी बनारस में मरने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उनकी यही धारणा को तोड़ने के लिए वे मगहर चले गए जहां कुछ समय रहने के बाद उनकी मृत्यु हो गई लेकिन उनके द्वारा कहे गए शब्दों में इतनी शक्ति है| की आज पूरी दुनिया उनके आदर्शों पर चलती है और ऐसे महान विचार वाले महाकवि कबीर दास जी को मैं शत-शत नमन करता हूं|
Kabir Das Short Biography
Bio/Wiki
- Name: Kabir Das
- Date Of Birth: 1440
Family Information
- Father: Neeru
- Mother: Neema
- Wife: Loi
Nice
thanks…
Nice