आपने अपने बचपन में कभी ना कभी तेनाली रामा की कहानी तो जरुर पड़ी होगी स्कूलों की किताबों में दादी नानी की मुंह जवानी कहीं ना कहीं इनकी कहानियों का जिक्र तो होता ही आया है आज हम आपको तेनाली रामा जिंदगी के बारे में कई सारी रोचक बातें बताने वाले हैं|
तेनाली रामा का जन्म 1514 शताब्दी में आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर में हुआ था | इन के बचपन का नाम garlapati रामकृष्ण था यह एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार से नाता रखने वाले थे इनके पिताजी एक बहुत बड़े और विद्वान पंडित हुआ करते थे इनकी पिताजी का नाम garlapati rammyaa था और माताजी का नाम लक्ष्मम्मा था|जो घर को संभाला करती थी बताया जाता है कि जब तेनालीराम बहुत छोटे थे तभी उनके पिताजी का निधन हो गया था जिसके बाद उनकी माताजी ने उनका पालन पोषण किया था और जिस गांव में वह रहती थी उस गांव का नाम तेनाली था जिस कारण से आगे चलकर उनका नाम तेनाली रामा पड़ा आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैं इतने बड़े कभी होने के साथ-साथ कभी भी किसी प्रकार की शिक्षा नहीं दी वह अशिक्षित होने के बावजूद मराठी कन्नड़ तमिल और हिंदी जैसी भाषाओं में महारथी थे| तेनालीराम ने वैष्णव धर्म को अपना लिया और अपने जीवन की शुरुआत की वे शुरुआत में भागवत मेला मंडली में काम किया करते थे और उस मंडली का हिस्सा बनकर उसमें सहायता किया करते थे|
तेनालीराम और राजा कृष्णदेव जी की जोड़ी-
विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम की जोड़ी अकबर बीरबल की जोड़ी के समान मानी जाती है| एक बार की बात है जब मैं अपनी मंडली के कार्य से विजयनगर आए थे| और वहां उनकी मुलाकात राजा कृष्णदेव राय से हुई कृष्णदेव राय ने उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन से काफी ज्यादा प्रभावित हुए और उन्हें अपने दरबार में कवि के रूप में रख दिया तेनालीराम इतने चतुर थे कि उन्होंने धीरे-धीरे राजा के मन में अपनी जगह बना ली और सिर्फ 2 सालों में ही उन्होंने अपना एक अच्छा प्रतिभा राज महल में जमा दिया तेनालीराम जी के ऊपर कन्नड़ भाषा में एक फिल्में भी बनाई गई है इस के अलावा कार्टून नेटवर्क में कई सारे कार्टून नाटक बच्चों को उनकी महानता के बारे में बताने के लिए दिखाए जाते हैं इसके अलावा भी उनकी कई सारी कहानियां आज हमारे स्कूली किताबों में छपी हुई हैं जिन्हें पढ़कर बच्चे काफी ज्यादा प्रसन्न महसूस और चतुर बनाने का प्रयास करते हैं |
एक कहानी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध गई थी जो यह है-
एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक विदेशी व्यापारी आया इस व्यापारी ने राजा से मुलाकात की और उनसे कहा कि राजा आपके पास तो कई सारे मंत्री हैं और इनमें से ज्यादातर मंत्री बहुत ज्यादा बुद्धिमान है| इस विषय में बात करते हुए उन्होंने राजा से अनुमति मांगी कि वे मंत्रियों के ज्ञान की परीक्षा लेना चाहते हैं राजा ने उस व्यापारी को आज्ञा दे दी फिर क्या व्यापारी ने तीन गुड़िया दी यह तीनों गुड़िया देखने में एक जैसी थी गुड़िया राजा को देने के बाद व्यापारी ने राजा से कहा आपके मंत्री मुझे 30 दिन के अंदर एक जैसे दिखने वाली तीन गुड़िया में अंतर बताएंगे उन्हें सबसे महान मंत्री मानूंगा हालांकि तेनालीराम को यह काम नहीं सौंपा गया लेकिन लंबे समय तक कोई भी मंत्री ये नहीं बता पाया, कि आखिर एक जैसी दिखने वाली इन गुड़ियों में क्या अंतर है. फिर राजा ने यही कार्य तेनाली रामा को सौंपा और जैसे ही तीस दिन पूरे हो गए, वो व्यापारी राजा के दरबार में अपनी चुनौती का जवाब मांगने आया. फिर क्या था तेनाली रामा ने उस व्यापारी को कहा कि इन तीन गुड़ियों में से एक गुड़िया अच्छी है, एक ठीक-ठाक है जबकि एक बहुत बुरी है. तेनाली रामा के इस जवाब को सुनकर सब हैरान रह गए, कि आखिर किस आधार पर तेनाली ने ये जवाब दिया. फिर तेनाली रामा ने सबके सामने एक गुड़िया के कान में एक तार डाली और वो तार गुड़िया के मुंह से निकल आई. फिर इसी तरह उन्होंने दूसरी गुड़िया के कान में तार डाली और वो तार उस गुड़िया के दूसरे कान से निकल गई. और अंतिम गुड़िया के कान में तार डालने पर वो तार किसी भी जगह से बाहर नहीं निकली. जिसके बाद तेनाली रामा ने कहा, कि जिस गुड़िया के मुंह से तार बाहर निकली है वो गुड़िया बुरी है. क्योंकि उसको अगर कोई कुछ बताएगा, तो वो सबको उस बात की जानकारी दे देगी. वहीं जिस गुड़िया के कान से तार निकली वो गुड़िया ठीक ठाक है, क्योंकि अगर उसे कोई कुछ बताएगा, तो वो उसको ध्यान से नहीं सुनेंगी. वहीं जो आखिरी गुड़िया है, उसे जो कोई कुछ बताएगा वो उसे अपने दिल के अंदर रखेगी. इसलिए वो गुड़िया अच्छी है. इस तरह से तेनाली रामा द्वारा दिए गए जवाब को सुनकर राजा के साथ साथ वो व्यापारी भी हैरान रह गए. लेकिन तेनाली यहां पर ही नहीं रुके उन्होंने इन गुड़ियों के बारे में कहा, कि पहली गुड़ियां उन लोगों में से है जो कि ज्ञान सुनकर लोगों में बांटती है. बल्कि दूसरी गुड़िया उन लोगों में से है जिनको जो सिखाया जाता है उन्हें वो समझ नहीं आता है और आखिरी गुड़िया उन लोगों में से है जो कि ज्ञान को अपने तक ही सीमित रखती हैं. तेनाली के इस जवाब को भी सुनकर राजा काफी खुश हुए. उस व्यापारी को भी समझ आ गया, कि उसने जो राजा के मंत्री की बुद्धिमानी के बारे में सुना था वो एकदम सही था|
तेनाली रामा की मृत्यु के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के के कारण हम आपको उसकी जानकारी नहीं दे सकते | आपको यह बायोग्राफी पढ़कर कैसा लगा कमेंट बॉक्स में मुझे जरूर बताइएगा|
Tenali Rama short Biography
Bio/Wiki
- Name: Garlapati Ramakrishnayya
- Date Of Birth: 1514 (date not available)
- Birthplace: Guntur, Andhra Pradesh
- Nationality: Indian
- Profession: Poet, Advisior
Family Information
- Father: Garlapati Ramayya
- Mother: Lakshmamma
- Brother: (Information not available)
- Sister: (Information not available)
- Relationships: Marrried
- Wife: Shardha Devi
Nice Tenali ram जीवनी