भगवान शंकर जी के साक्षात अवतार आदि गुरु शंकराचार्य जी का जन्म 788 इसी में केरल के गांव में हुआ था शंकराचार्य जी एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे उनके जन्म से जुड़ी कई सारी प्रचलित कहानियां है जिसके अनुसार उनके माता-पिता जी की कोई संतान नहीं थी कई सालों बाद में उन्हें कोई संतान की प्राप्ति नहीं हुई जिसके बाद उनके माता-पिता ने भगवान शंकर जी की कठोर तपस्या की और भगवान शंकर जी उन दोनों की तपस्या से प्रसन्न होकर पुत्र वर का वरदान दिया हालांकि उनके सामने शंकर जी ने एक शर्त कि तुम्हारे यहां जन्म लेने वाला पुत्र दीर्घायु और सर्वज्ञ बिल्कुल भी नहीं होगा और उसकी आयु बहुत ही कम होगी जिसके बाद आदि|
शंकराचार्य जी के माता पिता ने सर्व ज्ञानी पुत्र की मांग की इसके बाद भगवान खुद अवतरित होकर उन्हें यह बताया कि कुछ समय बाद माता आर्य अंबा की कोख में महा ज्ञानी पुत्र आदि शंकराचार्य का जन्म होगा जिसका नाम शंकर रखा गया उसके बाद उनके महान कार्यों की वजह से उनके आगे आ गया और इसी कारण से वह आचार्य शंकराचार्य कहलाने लगे शंकराचार्य जी के ऊपर से उनके पिता का साया बहुत छोटी उम्र से हट गया वह बचपन में बेहद आसान धारण प्रतिभा वाले अद्वितीय बालक थे उन्हें सीखने और याद रखने की शक्ति बहुत अधिक की पिताजी की मृत्यु के बाद विद्यार्थी जीवन में उनका प्रवेश काफी देरी से हुआ शंकराचार्य अपने साथियों को अपने जीवन का बखान बताया करते थे शंकराचार्य अल्प आयु से ही सन्यासी जीवन से प्राप्त और वह सन्यासी बनना चाहते थे लेकिन उनकी माताजी ने इजाजत नहीं दी |
बहुत समय बाद शंकराचार्य जी ने अपनी माता से सन्यासी बनने के लिए फिर से कहा और इस बार उनकी माताजी ने उन्हें आज्ञा दे दी उसके बाद शंकराचार्य आजाद हो गए और शिक्षा प्राप्ति के लिए घर छोड़ दिया वह उत्तर मध्य भारत राज्यों में अभ्यारण में जा पहुंचे और गोविंद भागवत पद के नाम के शिक्षक के शिष्य बन गए|
शंकराचार्य और उनके उनके गुरु की पहली मुलाकात को लेकर बहुत ही कहानियां इतिहास में मौजूद है शास्त्रों के अनुसार शंकराचार्य ने गोविंद पद के साथ स्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी और उसके बाद वह काशी में गंगा नदी ओंकारेश्वर नर्मदा नदी और हिमालय में बद्रीनाथ के पास शिक्षा प्राप्त किए अपने गुरुओं से उन्होंने वेदों का ज्ञान हासिल किया और व्यापक रूप से यात्रा करने के लिए देश विदेश चले गए उनके जीवन को लेकर अलग-अलग इतिहास मौजूद है बहुत से लोग यह भी दावा करते हैं कि शंकराचार्य ने वेद उपनिषद और ब्रह्म सूत्र का अभ्यास अपने शिक्षकों के साथ किया था शंकराचार्य जी के जीवन का वर्णन बहुत सारे लोग अपने अपने तरीके से करते हैं उनके जीवन में बहुत ही यात्राएं कोई जिनमें बाद तीर्थ यात्रा है सार्वजनिक भाषण और शिवलिंग ओं की यात्रा भी शामिल है उन्होंने पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण भारत की यात्रा की यही नहीं उन्होंने कई सारे ग्रंथों को लेकर महान उद्देश्य वाले लोगों तक पहुंचाया उसके साथ ही लोगों को कृषि शक्ति और भक्ति समेत मनुष्य बनाने में भी बहुत ज्यादा महत्व शंकराचार्य जी का रहा है शंकराचार्य जी बहुत सारे विद्वान और महा पंडितों को साथ मिलकर चार मठों की स्थापना भी की |
सबसे पहला मठ भारत रामेश्वर में स्थापित किया गया दूसरा गोवर्धन मठ जगन्नाथपुरी में स्थापित किया गया तीसरा मठ कालिका एवं शारदा मठ के नाम से मशहूर है इस पश्चिम भारत और द्वारिका में स्थापित किया गया|
शंकराचार्य जी ने बहुत सारी ग्रंथों की भी रचनाएं की जिनमें से ब्रह्मसूत्र पर लिखे कई दुर्लभ भाष्य है यह इतिहास में प्रखंड विद्वान के रूप से जाने जाते हैं|
भारतीय इतिहास के प्रखंड विद्वान और महान दर्शनी आदि शंकराचार्य जी की मृत्यु 32 साल की आयु में हो गई जब यह केदारनाथ उत्तराखंड में थे हालांकि उनकी मृत्यु स्थल को लेकर अलग-अलग बातें की जाती है कई इतिहासकारों के अनुसार उनकी मृत्यु तमिलनाडु में कांचीपुरम में हुई थी|
भगवान शिव के साक्षात अवतार माने जाने वाले आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती हर साल बैसाख के शुक्ला पश्चिम की तिथि में मनाई जाती है |
Sankracharya short Biography
Bio/Wiki
- Name: Sankar
- Date Of Birth: 788 A.D
- Birthplace: Kerala
- Nationality: Indian
- Profession: Philospher
Family Information
- Father: (Information not available)
- Mother:(Information not available)
- Brother: None
- Sister: None
- Relationships: Unmarrried