आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है राधाकृष्णन जी दर्शनशास्त्र के बहुत बड़े ज्ञाता थे और उन्होंने अपने प्रसिद्धि की शुरुआत शिक्षा के माध्यम से की थी और इसीलिए हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस उनके जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है|
डॉ राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1988 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरूमानी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था| इनके पिता जी का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था एक गरीब परिवार के थे किंतु वह बहुत ही ज्यादा विद्यमान ब्राह्मण भी थे राधाकृष्णन जी के पिताजी के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी जिस कारण से राधाकृष्णन जी को ज्यादा सुविधाएं नहीं मिल पाती थी राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में इतनी दूर की चाची की बेटी shivakamu से शादी कर ली| जिससे उन्हें पांच बेटी और एक बेटे की प्राप्ति हुई उन्हें ने अपने बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल रखा जो भारत की इतिहास कारक थे राधाकृष्णन जी की मृत्यु 1956 को हो गई|
सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का बचपन तिरूमानी गांव में ही व्यतीत हुआ वहीं से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्ति की और आगे की पढ़ाई के लिए वे तिरुपति आ गए| जहां वे 1896 से 1900 तक पढ़ाई की और कॉलेज की शिक्षा मद्रास से पूरी करी सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही अच्छे थे और शुरू से ही उन्होंने मेधावी छात्र का स्थान प्राप्त किया था 1906 मैं दर्शनशास्त्र के लिए m.a. किया सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी पढ़ने में काफी अच्छे थे इसलिए उन्हें स्कॉलरशिप मिलती थी| जिससे उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई की उसके बाद 1909 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को मद्रास के एक कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक के रूप में रख लिया गया और सहायक अध्यापक के रूप में भी कार्य किया करते थे उसके बाद उन्हें प्रोफेसर के रूप में चुना गया तत्पश्चात पर इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय दर्शनशास्त्र के शिक्षक बने सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी हमेशा से ही पढ़ने और पढ़ाने के लिए उत्सुक रहा करते थे इसलिए आज उन्होंने अपने आप को इस स्थान पर स्थापित किया है| डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने स्वामी विवेकानंद जी को और वीर सावरकर को अपना आदर्श माना और अपने अध्ययन को आगे की ओर बढ़ाया|
जब भारत को स्वतंत्रता मिली उस समय जवाहरलाल नेहरू ने राधाकृष्णन से यह आग्रह किया| कि वह विशिष्ट राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों की पूर्ति करें| नेहरूजी की बात को स्वीकारते हुए डॉ.राधाकृष्णन ने 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया. संसद में सभी लोग उनके कार्य और व्यव्हार की बेहद प्रंशसा करते थे| अपने सफल अकादमिक कैरियर के बाद उन्होंने राजनीतिक में अपना कदम रखा|
13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे | 13 मई 1962 को ही वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए| राजेंद्र प्रसाद की तुलना में इनका कार्यकाल काफी चुनौतियों भरा था| क्योंकि जहां एक ओर भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध हुए, जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा. वही दूसरी ओर दो प्रधानमंत्रियों का देहांत भी इन्हीं के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था. उनके काम को लेकर साथ वालों को, उनसे विवाद कम सम्मान ज्यादा था|
17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन का निधन हो गया| शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेंशा याद किया जाता है. इसलिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है. इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए पुरुस्कार प्रदान किए जाते

हैं| राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेंरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है| इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाले यह प्रथम गैर-ईसाई सम्प्रदाय के व्यक्ति थे|
Dr.Radhakrishnan short Biography
Bio/Wiki
- Name: Radhakrishnan
- Date Of Birth: 5 september 1888
- Birthplace: Thiruttani, Tamil Nadu
- Nationality: Indian
- Profession: Professor, Philoshpher, statesperson
Family Information
- Father: Sarwapalli Veeraswami
- Mother: Sarwapalli Sita
- Brother: (Information not available)
- Sister: (Information not availabble)
- Relationships: Marrried
- Wife: Sivakamu Radhakrishnan
Physical Status
- Height: N/A
- Eye colour: Dark Brown
- Hair colour: Salt and pepper